चैतन्य भारत न्यूज
दुनिया भर में प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत इस साल 4 जुलाई से होने वाली है। ओडिशा के पुरी में मनाया जाने वाला जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव का बहुत ही अधिक महत्व है। जगन्नाथ रथयात्रा न सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों में बल्कि विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है।
इस महोत्सव में शामिल होने के लिए देश के साथ ही विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र एवं बहन सुभद्रा को जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है।
सोने की झाड़ू से होती है रास्ते की सफाई
पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। जगन्नाथ जी का भव्य रथ सोलह पहियों का होता है, जिसमें 832 लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। इस रथ को बनाने के लिए लकड़ियों का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारंभ होता है। इस रथ पर सोने के हत्थे वाली झाड़ू लगाकर रथयात्रा प्रारंभ की जाती है।
खास बात यह है कि रथ यात्रा के इस मार्ग की सफाई भी सोने की झाड़ू से ही की जाती है। इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को अपने भाई बालभद्र और सुभद्रा के साथ पूरे नगर का भ्रमण कराया जाता है। इसके बाद उन्हें गुंडिचा मंदिर यानी उनकी मौसी के घर ले जाया जाता है। गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ का खूब आदर सत्कार किया जाता है। भगवान यहां पूरे सात दिनों तक रहते हैं।