चैतन्य भारत न्यूज
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी हटा दी गई है। बता दें पिछले साल 4 अगस्त से फारूक नजरबंद थे। 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था। इसके बाद घाटी में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था।
विपक्षी पार्टियों ने किया था रिहाई का आग्रह
फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त से हाउस अरेस्ट में रखा गया था, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ पिछले साल 15 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी एक्ट का केस दर्ज किया था। फिर उन्हें 3 महीने के लिए नजरबंद किया गया था। यह समयसीमा 15 दिसंबर को खत्म होने वाली थी। लेकिन उसके दो दिन पहले यानी 13 दिसंबर को ही उनकी नजरबंदी अगले 3 महीने के लिए और बढ़ा दी गई। ऐसे में अब उनकी नजरबंदी खत्म करने का फैसला लिया गया है। बता दें करीब पांच दिन पहले राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी, माकपा प्रमुख सीता राम येचुरी समेत कई विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेताओं ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृृहमंत्री को एक संयुक्त पत्र लिखकर तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं की रिहाई का आग्रह किया था।
Govt issues orders revoking detention of Dr Farooq Abdullah pic.twitter.com/tcBzkwY7dI
— Rohit Kansal (@kansalrohit69) March 13, 2020
इन नेताओं को किया गया था नजरबंद
जिन नेताओं को नजरबंद किया गया था उनमें फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन सहित कई नेता शामिल थे। पिछले महीने यानी फरवरी में ही जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला से नजरबंदी हटा ली गई थी। लेकिन उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, आईएएस अफसर से नेता बने शाह फैसल समेत कई नेताओं पर पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था। फिर इन नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। फिलहाल उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, शाह फैसल समेत कई नेता हिरासत में हैं।
बेटी-बहन को भी हिरासत में लिया
बता दें अक्टूबर, 2019 में फारूक अब्दुल्ला की बेटी साफिया और बहन सुरैया को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। ये दोनों ही आर्टिकल 370 को हटाने का विरोध कर रही थीं। हालांकि बाद में दोनों को रिहा कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट पंहुचा था मामला
गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए कई दिनों से मांग की जा रही थी। लोकसभा और राज्यसभा में भी यह मामला उठा था। सुप्रीम कोर्ट में भी रिहाई को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उम्मीद जताई थी कि, ‘रिहा होने के बाद तीनों पूर्व सीएम, कश्मीर के हालात को सामान्य बनाने और विकास करने में योगदान देंगे।’
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