चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में जितिया व्रत का काफी महत्व है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत महिलाएं संतान की मंगल कामना के लिए करती हैं। इस बार जितिया व्रत 21 सितंबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं जितिया व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
जितिया व्रत का महत्व
अपने पुत्र की मंगल कामना करते हुए महिलाएं जितिया व्रत का उपवास रखती हैं। यह व्रत उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रचलित है। पड़ोसी देश नेपाल में भी महिलाएं बढ़-चढ़ कर इस व्रत को करती हैं। यह व्रत अश्विन मास की सप्तमी से शुरू होकर तीन दिन तक चलता है। इस दौरान अपने संतान की लंबी उम्र की कामना और खुशहाल जीवन के लिए माताएं कुछ भी ग्रहण नहीं करती है।
जितिया व्रत के नियम
- हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान आमतौर पर मांसाहार का सेवन करना वर्जित माना जाता है। लेकिन बिहार के कई क्षेत्रों में जितिया व्रत के उपवास की शुरुआत मछली खाने से होती है।
- इस दौरान गेंहू की जगह मरुए के आटे से बनी रोटी बनाने की भी परंपरा काफी प्रचलित है। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
- जितिया व्रत का तीसरा दिन काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन व्रत का पारण करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है।