चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। उन्होंने 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की जगह ली। जानकारी के मुताबिक, वह 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई।
Sharad Arvind Bobde sworn-in as 47th Chief Justice of India
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— ANI Digital (@ani_digital) November 18, 2019
कौन हैं जस्टिस बोबडे
बता दें जस्टिस शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही बी.ए. और एल.एल.बी की डिग्री ली है। जस्टिस बोबडे ने साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस भी की है और साल 1998 में वह वरिष्ठ वकील बने। जस्टिस बोबडे ने साल 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट में बतौर एडिशनल जज का पदभार संभाला। साल 2012 में वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके एक साल बाद ही उन्होंने अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जज की कमान संभाली। जस्टिस बोबडे पूर्व सीजेआई गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी समिति में शामिल थे।
नए चीफ जस्टिस को है बाइक राइडिंग का शौक
जानकारी के मुताबिक, जस्टिस बोबडे बड़े ही खुशमिजाज और मृदुभाषी हैं। उन्हें बाइक राइडिंग और डॉग्स पालने का बहुत पसंद हैं। खाली समय में वह हमेशा किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। घर पर भी वे बेहद सादगी से रहते हैं और यही सादगी उनकी हर जगह देखने को मिलती है।
इन बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं जस्टिस बोबडे
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को लेकर लिए गए फैसले में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। बता दें कोर्ट ने एक आदेश देते हुए कहा था कि, आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय मूल सुविधाओं से वंचित नहीं रह सकता है।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ जब यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था, तो उस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को सौंपी थी। इन तीन जजों में जस्टिस बोबडे, एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थे।
- साल 2016 नवंबर में तीन बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी। कोर्ट के इस फैसले में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे। उनके अलावा इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे।
- 9 नवंबर को आए अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया। इन पांच जजों में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे। उनके अलावा पीठ में पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे।
रंजन गोगोई का कार्यकाल 13 महीने 15 दिन का रहा
बता दें पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 13 महीने 15 दिन का रहा। अपने कार्यकाल में रंजन गोगोई ने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला दिया। साथ ही उन्होंने राफेल मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज की। इसके अलावा गोगोई ने चीफ जस्टिस को भी आरटीआई के दायरे में शामिल किया।