चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती या काल भैरव अष्टमी का काफी महत्व है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव के भक्त साल की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। इस बार कालाष्टमी 07 दिसंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कालाष्टमी का महत्व और पूजा-विधि।
कालाष्टमी का महत्व
कालभैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना गया है। मान्यता है कि, इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है। इसे कालाष्टमी, भैरवाष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कथा और भजन करने से भी घर में सुख और समृद्धि आती हैं। माना जाता है कि, इस व्रत को करने से व्यक्ति के रोग दूर होने लगते हैं और उसे हर काम में सफलता भी प्राप्त होती है।
कालाष्टमी की पूजा-विधि
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का सकंल्प लें।
- इसके बाद शिव जी के स्वरूप कालभैरव की पूजा करें।
- भैरव के मंदिर में जाकर अबीर, गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाएं।
- भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है, इसलिए कालाष्टमी के दिन उसे खाना जरूर खिलाना चाहिए।
कालाष्टमी मंत्र
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!