चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म के मुताबिक, हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। इस बार कालाष्टमी 06 जनवरी को यानी आज है। इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना गया है। मान्यता है कि, इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है। आइए जानते हैं कालाष्टमी का महत्व और इसकी पूजन-विधि।
कालाष्टमी का महत्व
इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है जिन्हें शिवजी का एक अवतार माना जाता है। इसे कालाष्टमी, भैरवाष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत का भी विधान माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की कथा और भजन करने से भी घर में सुख और समृद्धि आती हैं। माना जाता है कि, इस व्रत को करने से व्यक्ति के रोग दूर होने लगते हैं और उसे हर काम में सफलता भी प्राप्त होती है।
कालाष्टमी पूजन-विधि
- इस दिन स्नान करने के बाद व्रत का सकंल्प करना चाहिेए।
- इसके बाद शिव जी के स्वरूप कालभैरव की पूजा करनी चाहिए।
- भैरव के मंदिर में जाकर अबीर, गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाएं।
- भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है, इसलिए कालाष्टमी के दिन उसे खाना खिलाना चाहिए।
- पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है।