चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में श्रेष्ठ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने देवलोक पर हाहाकार मचाने वाले त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का संहार किया था। हर साल इस पूर्णिमा के दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है। एक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मतस्यावतार लिया था। बता दें इस साल देव दिवाली या कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा का महत्व, शुभ-मुहूर्त और पूजन-विधि।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में 12 महीनों में से कार्तिक मास को सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दौरान लोग पूरे महीने गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। कार्तिक मास के पवित्र स्नान की शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए भी कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद अच्छा माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पूजन-विधि
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- रात्रि के समय विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
- इसके बाद सत्यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें और सुनाएं।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती उतारने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- इस दिन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन दीपदान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि: 30 नवंबर, सोमवार
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 29 नवंबर, दिन रविवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 30 नवंबर, दिन सोमवार को दोपहर 03 बजे तक