चैतन्य भारत न्यूज
सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है और उन्हें इस व्रत का साल भर इंतजार रहता है। इस साल करवा चौथ व्रत 4 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय शिव परिवार की पूजा करती हैं। लेकिन इस व्रत का पारण चांद देखने के बाद किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत के नियम, सामग्री, पूजा-विधि और चांद निकलने का समय।
करवा चौथ व्रत के नियम
- इस व्रत को सूर्योदय से पहले शुरू कर चांद निकलने तक रखा जाता है।
- इस व्रत में चंद्रमा के दर्शन कर उसे अर्घ्य देना जरूरी होता है।
- इस व्रत में सांस अपनी बहू को सरगी देती है, जिससे व्रत वाले दिन बहुएं अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।
- इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है।
- फिर चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ व्रत पूजन सामग्री
पीतल या मिट्टी का करवा, दीपक, कपूर, हल्दी, पानी का लोटा, गेहूं, लकड़ी का आसन, चलनी, कांस की 9 या 11 तीलियां, कच्चा दूध, अगरबत्ती, फूल, चंदन, शहद, शक्कर, फल, मिठाई, दही, गंगाजल, चावल, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, कंघी, बिंदी, चुनरी, प्रसाद के हलुआ पूड़ी व मिठाई और दक्षिणा के लिए रुपए।
करवा चौथ व्रत पूजा-विधि
- सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।
- पूजन के लिए संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे रखें।
- एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर आदि रखें और घी का दीपक जलाएं।
- चंद्र-दर्शन के बाद पति के हाथ से जल और मीठा ग्रहण कर व्रत खोले।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर (बुधवार)- शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक।
कहा जा रहा है कि चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट पर होगा।