चैतन्य भारत न्यूज
श्रीनगर. जब भी कभी कश्मीर का जिक्र हो और धारा 370 की बात न हो ऐसा तो हो नहीं सकता। भारतीय संविधान के धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता दी गई है। अक्सर ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने की मांग की जाती है लेकिन कश्मीर के नेता और स्थानीय निवासी इसे हटाने की संभावना का पुरजोर विरोध करते आ रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर धारा 370 है क्या?
क्या है धारा 370
जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को धारा 370 स्वीकार कर लिया। फिर 17 अक्टूबर, 1949 को यह धारा भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया। धारा 370 में यह उल्लेख किया गया है कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के अलावा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दे दी गई। राष्ट्रपति के पास भी राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। इन्हीं प्रावधानों के कारण ही भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य का अपना अलग झंडा भी है। राज्य में सरकारी दफ्तरों में भारत के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का भी झंडा लगा रहता है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता भी मिलती है। यानी वह भारत के नागरिक होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के भी नागरिक हैं।
धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को मिले हुए हैं-
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
- कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है।
- जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस वजह से राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। यानी कि वहां राष्ट्रपति शासन नहीं, बल्कि राज्यपाल शासन लगता है।
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
- धारा 370 के अंतर्गत कश्मीर में बाहरी राज्यों के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
- इस धारा के अंतर्गत कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते है।
- जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं माना जाता है।
- भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा यदि वह किसी पाकिस्तान के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी।