चैतन्य भारत न्यूज
ओरछा. मध्य प्रदेश में स्थित ओरछा एक समय में शक्तिशाली बुंदेला राजपूतों की राजधानी हुआ करता था। आज यह एक छोटा-सा कस्बा है, जो बहुत शांत, सुंदर और इतिहास से भरा हुआ है। ओरछा की धरती पर महलों, मंदिरों और किलों के साथ कल-कल बहती वैतरणी नदी या बेतवा नदी है। इन्हीं में से एक लक्ष्मी नारायण मंदिर है जो अपने आप में बहुत खास है।
17वीं सदी की शुरुआत में बना लक्ष्मीनारायण मंदिर को 1622 ई. में वीरसिंह देव ने बनवाया था। यह मंदिर ओरछा गांव के पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना है। यह मंदिर पिछले 36 सालों से मूर्ति विहीन है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि बुंदेलखंड सहित पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है जिसका निर्माण तत्कालीन विद्वानों द्वारा श्रीयंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए किया गया है।
इस मंदिर में सत्रहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के चित्र बने हुए हैं जो अपने आप में अद्भुत है। इन चित्रों के चटकीले रंग इतने जीवंत लगते हैं। जैसे वह हाल ही में बने हों। इसके अलावा मंदिर में झांसी की लड़ाई के दृश्य और भगवान कृष्ण की आकृतियां भी बनी हुई हैं। मान्यता है कि, दिवाली के दिन इस सिद्ध मंदिर में दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं।
कहा जाता है कि साल 1983 में मंदिर में स्थापित मूर्तियों को चोरों ने चुरा लिया था। तब से आज तक मंदिर के गर्भगृह का सिंहासन सूना पड़ा हुआ है। ओरछा निवासी 90 वर्षीय साहित्यकार गणेश प्रसाद दुबे का कहना है कि मंदिर के महत्व को जानकर आने वाले श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर माथा टेककर मां लक्ष्मी के दर्शन बिना ही निराश लौट जाते हैं।