चैतन्य भारत न्यूज।
चुनाव परिणाम से पहले और आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के कुछ ही घंटों बाद मीडिया में अलग-अलग सर्वे एजेंसियों द्वारा किए गए एग्जिट पोल्स के अनुमान आना शुरू हो जाते हैं। इसके माध्यम से आधिकारिक परिणामों से पहले ही देश का मूड और मतदाताओं के रूख का संकेत मिलता है।
आधिकारिक परिणाम की घोषणा होने तक एग्जिट पोल्स पर खूब राजनीतिक चर्चाएं होती हैं। हालांकि एग्जिट पोल्स के नतीजे आधिकारिक परिणामों जैसे ही हों यह जरूरी नहीं है। कई बार एग्जिट पोल्स पूरी तरह गलत साबित हुए हैं। लेकिन परिणाम के इंतजार में एग्जिट पोल के अनुमान चर्चाओं का एक विषय तो देते ही हैं। देखते हैं कि लोकसभा चुनाव में पुराने एग्जिट पोल कितने सही रहे।
लोकसभा चुनाव- 2014 में अधिकांश एग्जिट पोल रहे सही
लोकसभा चुनाव- 2014 को लेकर हुए ज्यादातर एग्जिट पोल्स के अनुमान सही निकले थे। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में भाजपा की अगुआई में एनडीए को सरकार बनाने के करीब बताया गया था। चुनाव परिणाम में भाजपा को खुद के दम पर बहुमत मिल गया और एनडीए 336 सीटों पर विजयी रहा। कांग्रेस 44 सीटों पर सिमटकर रह गई थी।
इसी तरह, 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ज्यादातर एग्जिट पोल्स के अनुमान सही थे। तब सभी एग्जिट पोल्स में भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन को 200 से ज्यादा सीटें व बहुमत के करीब बताया गया। जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन को 200 से कम सीटों का अनुमान लगाया गया था। जब नतीजे आएं तो भाजपा+ को 252, कांग्रेस+ को 166 और अन्य को 119 सीटें मिली थीं।
इन चुनावों में पूरी तरह फेल हुए एग्जिट पोल्स
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान एग्जिट पोल्स के अनुमान बहुत हद तक सही रहे, लेकिन उससे पहले लगातार दो आम चुनावों में एग्जिट पोल्स सही भविष्यवाणी करने में नाकाम हुए थे। एग्जिट पोल्स की नाकामी का सबसे चर्चित वाकया लोकसभा चुनाव 2004 का है। उस वक्त ज्यादातर एग्जिट पोल्स में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के फिर सत्ता में आने की भविष्यवाणी की गई थी लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट आए। एनडीए को 189 सीटें मिलीं और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए को 222 सीटें मिलीं और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।
2004 के बाद अगले चुनाव यानी 2009 में भी एग्जिट पोल्स फेल हुए। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में यह तो बताया गया कि यूपीए को एनडीए पर बढ़त मिलेगी लेकिन किसी ने भी यह अनुमान नहीं लगाया था कि कांग्रेस अकेले ही 200 के पार पहुंच जाएगी। परिणाम में कांग्रेस को अकेले 206 और यूपीए को 262 सीटें मिलीं।
इसी तरह 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी एग्जिट पोल्स सही अनुमान लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए। सभी एग्जिट पोल्स में भाजपा+ को जेडीयू-आरजेडी गठबंधन पर बढ़त बताई गई थी लेकिन नतीजे ठीक उलट आए। भाजपा+ 58 सीटों पर सिमट गई, जबकि जेडीयू-आरजेडी गठबंधन ने 178 सीटों पर जीत का परचम लहराया।