चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से मिलान के मामले को लेकर शुक्रवार को उच्चतम न्यायलय में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट को चुनाव आयोग ने बताया, ‘अगर 50 फीसदी पर्चियों का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मिलान करना पड़ा तो मतगणना में 6 से 9 दिन का समय लग सकता है।’
अभी का तरीका सबसे बेहतर
चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायलय में कहा कि, ‘वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना का अभी का तरीका सबसे बेहतर है। अगर हर संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की 50 प्रतिशत वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया जाएगा, तो चुनाव परिणाम आने में बहुत समय लगेगा। ऐसे में नतीजे 23 मई की जगह 28 मई तक आएंगे।’ सूत्रों के मुताबिक, वीवीपीएटी पर्चियों के ईवीएम मशीनों के साथ मिलान की मांग को लेकर चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका के जरिए यह मांग की गई थी कि, एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया जाए, जिससे कि चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता पर किसी भी प्रकार की आंच न आ सके।
21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
चुनाव प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के लिए आयोग का कदम
याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विचार करने को कहा था, जिसके बाद शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई हुई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी। मालूम हो कि, इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम और वीवीपीएटी मामले को लेकर पूछा था कि- अगर कोर्ट इस मामले पर कोई आदेश देता है, तो आयोग को उसे मानने में क्या दिक्कत है? इसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग से गुरुवार तक जवाब मांगा था। आयोग ने तब भी मांग का विरोध करते हुए कहा था कि, ‘इसे बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है।’ साथ ही आयोग ने यह दलील दी थी कि, ‘अभी प्रति विधानसभा दर से वीवीपीएटी मिलान होता है और उसमें कभी अंतर नहीं पाया गया।’ आयोग ने कहा था कि, ‘वह खुद चुनाव प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के लिए समय समय पर कदम उठाता रहता है।’
सैनिकों की तस्वीरों का इस्तेमाल चुनाव अभियान में न करें राजनीतिक दल : चुनाव आयोग