चैतन्य भारत न्यूज
भोपाल. बच्चों के लापता होने के मामले में भारत में मध्यप्रदेश नंबर-1 पर है। यहां रोजाना लगभग 25 बच्चे और महीनेभर में 800 से ज्यादा बच्चे लापता हो रहे हैं। यह खुलासा केंद्र सरकार की जनवरी 2014 से दिसंबर 2019 तक की रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 से 2019 तक देशभर में 3 लाख 18 हजार 748 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से 20% यानी 52 हजार 272 बच्चे सिर्फ मध्यप्रदेश के हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 12 हजार 963 और राजस्थान में 6175 बच्चे गुम हुए हैं। इन लापता बच्चों को मानव तस्करी से जोड़ा जा रहा है।
दोगुनी हुई नाबालिग बच्चों की तस्करी
यह रिपोर्ट एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के हवाले से जारी की गई थी। रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में तीन साल में नाबालिग बच्चों की तस्करी का आंकड़ा बढ़कर दोगुने से भी ज्यादा हो गया।
11 महीने में 7 हजार से ज्यादा बच्चियां लापता
गृह मंत्रालय के मुताबिक, साल 2019 में जनवरी से नवंबर तक मध्यप्रदेश में 7981 बच्चियां लापता हुईं। यानी राज्य में हर महीने औसतन 700 से ज्यादा बच्चियां गुम हो रही हैं। सबसे ज्यादा बच्चियों की गुमशुदी के मामले मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, खंडवा, सिवनी, हरदा और बैतूल से सामने आए हैं।
लापता बच्चों का पता लगाने के लिए बनाए पोर्टल
लापता हुआ बच्चों का पता लगाने के लिए सरकार ने ट्रैक चाइल्ड और खोया-पाया पोर्टल भी शुरू हुआ है। यह दोनों पोर्टल गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, बाल कल्याण समिति, राष्ट्रीय विधिक व सेवा प्राधिकरण और किशोर न्याय बोर्ड से जुड़े हुए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने यह पोर्टल शुरू किए।
पुलिस आधुनिकरण के लिए हो रहा खर्च
बता दें पुलिस आधुनिकरण के लिए मध्यप्रदेश सरकार बड़ी राशि खर्च कर रही है। पुलिस सुधार के लिए केंद्र सरकार भी फंड दे रही है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सरकार तकनीकों का भी सहारा ले रही है, बावजूद इसके बच्चों के लापता होने के बढ़ते आंकड़ों में सुधार नहीं हो रहा है।