चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में माघ मास की पूर्णिमा का काफी महत्व है। इसे माघी पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस साल माघ पूर्णिमा 9 फरवरी को पड़ रही है। आइए जानते हैं माघी पूर्णिमा का महत्व, स्नान के नियम और शुभ मुहूर्त।
माघी पूर्णिमा का महत्व
हर माह की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप सत्यनारायण है। पूर्णिमा तिथि पर विष्णुजी और उनके अवतारों की पूजा खासतौर पर करने की मान्यता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन दान करने से जन्मों के पाप मिट जाते हैं। वैसे तो माघ का पूरा महीना ही स्नान और दान के लिए जाना जाता है। लेकिन माघ पूर्णिमा के दिन वस्त्र, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न का दान करना बहुत फलदायी रहता है।
माघी पूर्णिमा पर स्नान के नियम
- पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
- यदि ऐसा न हो सके तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल मिला लें। ऐसा करने से भी पवित्र नदी के स्नान का पुण्य मिलता है।
- स्नान के बाद जल में रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद श्रीविष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
- दिन के दूसरे प्रहर यानी कि दोपहर में ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
स्नान, दान का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा स्नान, दान और व्रत का मान रविवार को होने से पुण्यफल में वृद्धिकारक रहेगा। ज्योतिष्याचार्य के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि शनिवार 8 फरवरी को दोपहर 2:51 बजे से शुरू हो जाएगी। इसका मान रविवार 9 फरवरी को दोपहर 1:09 बजे तक रहेगा। इस दिन सूर्योदय से पूर्व ही स्नान-दान शुरू हो जाएगा।