चैतन्य भारत न्यूज
पितृ पक्ष के 16 दिनों में से अष्टमी का दिन काफी शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें पितृ पक्ष के दौरान नई वस्तुएं खरीदने की मनाही होती है लेकिन अष्टमी के दिन सोना खरीदना काफी शुभ माना गया है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा होती है। आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
इस व्रत को करने से धन-धान्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही दरिद्रता दूर होती है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ श्रीहरि भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं। भक्तों को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलने के साथ ही भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को हाथी अष्टमी या गजलक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
महालक्ष्मी व्रत की पूजा-विधि
- इस व्रत की पूजा शाम के समय होती है।
- इस दिन शाम को स्नान कर घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें।
- इसके बाद कपड़े पर केसर मिले चंदन से अष्टदल बना लें और उस पर चावल रख जल कलश रखें।
- अब कलश के पास हल्दी से कमल बना लें और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति विराजमान करें।
- इसके बाद मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर पर बनाकर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं।
- हो सके तो इस दिन नया सोना खरीदकर उसे हाथी पर चढ़ाएं।
- आप चाहे तो इस दिन सोने या चांदी का हाथी भी ला सकते हैं। इस दिन चांदी के हाथी का ज्यादा महत्व माना गया है।
- इसके बाद माता लक्ष्मी की कमल के फूल से पूजन शुरू करें।
- पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल मिठाई आदि से माता लक्ष्मी की पूजा करें।