चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि महानंदा नवमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और धन-संपदा का आशीर्वाद मिलता है और दरिद्रता का नाश होता है। इस बार महानंदा नवमी 5 दिसंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं महानंदा नवमी का महत्व और पूजन-विधि।
महानंदा नवमी का महत्व
इस नवमी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। महानंदा नवमी की व्रत करने से सभी प्रकार के रोग और कष्ट से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत के मनुष्य को न केवल भौतिक सुख मिलते हैं बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। कहते हैं कि यदि आपके घर में लक्ष्मी नहीं आ रही हैं और अगर आती भी हैं तो टीक नहीं रहीं तो आपको महानंदा नवमी का व्रत जरूर करना चाहिए। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से सुख-समृद्धि के साथ ही विष्णुलोक की प्राप्ति भी होती है।
महानंदा नवमी की पूजा-विधि
- महानंदा नवमी तिथि को सूर्योदय के पूर्व उठ जाएं।
- स्नान आदि से निवृत्त होकर महानंदा नवमी के व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- इसके बाद लाल वस्त्र बिछाकर देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- अब महालक्ष्मी की कुमकुम, अक्षत, गुलाल, अबीर, हल्दी, मेंहदी से पूजा करें।
- देवी को श्वेत मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा, ऋतुफल, मखाने, बताशे आदि को भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान ‘ओम ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:’ मंत्र का जाप करें।