चैतन्य भारत न्यूज
माघ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से दरिद्रता, रोग, संताप आदि का नाश होता है। बुरी शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस बार 3 फरवरी को महानंदा नवमी मनाई जाएगी। आइए जानते हैं महानंदा नवमी का महत्व और पूजा-विधि।
महानंदा नवमी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी अज्ञात कारणों की वजह से अगर जीवन में सुख-समृद्धि, रुपया-पैसा, धन की कमी हुई हो, तो यह व्रत करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए नवमी के दिन महानंदा व्रत किया जाता है। नवमी के दिन कुंआरी कन्या का पूजन करके उससे आशीर्वाद लेना विशेष शुभ माना गया है। अत: नवमी तिथि को कन्या भोज तथा उनके चरण अवश्य छूने चाहिए। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से सुख-समृद्धि के साथ ही विष्णु लोक की प्राप्ति भी होती है।
महानंदा नवमी की पूजा-विधि
- नवमी के दिन सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प करें।
- पूजा स्थान पर लक्ष्मी जी की मूर्ती को स्थापित करें।
- अब देवी को अक्षत, फूल, धूप, गंध और दिए के साथ विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा स्थान पर अंखड ज्योत जलाएं।
- मां लक्ष्मी को बताशे और मखाने का भोग लगाएं।