चैतन्य भारत न्यूज
फाल्गुन माह का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार, 20 फरवरी शुक्रवार को है। इस बार गुरूवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
इस प्रदोष को शत्रुनाशक कहा गया है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें भी ये व्रत अवश्य करना चाहिए। प्रदोष व्रत पर पूजन, जप, दान, व्रत करने से भगवान शिव की आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा यह व्रत जीवन के सारे दुख, संकट दूर करके व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा निसंतान दंपत्ति गुरु प्रदोष का व्रत करके उत्तम संतान का वरदान पा सकते हैं।
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा-विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें।
- भगवान श्री भोलेनाथ का स्मरण करें साथ ही व्रत करने का संकल्प लें।
- पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए।
- प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा की जाती है।
- प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें।
- उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें।
- पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे।
- अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें।