चैतन्य भारत न्यूज
आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मना रहा है। 2 अक्टूबर 1869 को जन्में मोहनदास करमचंद गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वो पोरबंदर के दीवान थे। इस खास मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं महात्मा गांधी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से।
गांधी जी को ‘महात्मा’ बनाने वाला बिहार का चंपारण ही केवल बापू का कर्मक्षेत्र नहीं था। गांधी जी बिहार के भागलपुर भी आए थे और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकजुट किया था।
साल 1934 में महात्मा गांधी यहां आए और भूकंप पीड़ितों की ना केवल मदद की थी, बल्कि पीड़ितों के लिए राशि भी इकट्ठी की थी। कहा जाता है कि उन्होंने अपने ऑटोग्राफ लेने वालों से पांच-पांच रुपए की राशि ली थी और फिर पीड़ितों की मदद के लिए उसे सौंप दिया था। गांधीवादी विचारक कुमार कृष्णन बताते हैं कि भागलपुर पहुंचे गांधी जी का बहुत से लोग ऑटोग्राफ लेना चाहते थे। इस दौरान गांधीजी ने पांच-पांच रुपए लेकर ऑटोग्राफ दिया था और इससे एकत्र राशि पीड़ितों की मदद के लिए सौंप दी थी।
कृष्णन कहते हैं कि इसकी चर्चा ‘गांधी वांग्मय’ सहित कई पुस्तकों में है। इस दौरे के बाद गांधी जी यहां 12 दिसंबर 1920 को आए थे। इस दौरान उन्होंने टिल्हा कोठी से एक सभा को संबोधित किया था। भागलपुर में महात्मा गांधी की सभा के आयोजन के लिए एक आयोजन समिति का गठन हुआ था।
इसके बाद गांधी जी 2 अक्टूबर, 1925 को भागलपुर में थे और शिव भवन में कमलेश्वरी सहाय के अतिथि बने थे। इस समय उन्होंने अपना जन्मदिन भी यहीं मनाया था। भागलपुर में आज भी ‘शिव भवन’ चर्चित है जिसमें गांधी जी ने महिलाओं को संबोधित करते हुए पर्दे का त्याग करने, चरखा चलाने, खादी पहनने, बेटियों को शिक्षित बनाने और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने की अपील की थी।
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