चैतन्य भारत न्यूज
मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। मकर संक्रांति को दान-पुण्य का दिन भी माना जाता है।इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
क्या है मकर संक्रांति?
मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होंगे।
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। जबकि कुछ अन्य कथाओं के मुताबिक, मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है।