चैतन्य भारत न्यूज
मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को यानी आज है। यह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। मकर संक्रांति को दान-पुण्य का दिन भी माना जाता है।इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
इन चीजों का दान फलदायी
बता दें साल में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति महत्वपूर्ण हैं। जब पौष मास में सूर्य का धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश होता है तो इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। राशि बदलते ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण होंगे। मकर संक्रांति के दिन प्रात: तिल से स्नान, तिल से हवन, तिल्ली से बने पदार्थों का दान और तिल का सेवन विशेष फलदायी होता है। साथ ही सूर्य के राशि बदलते ही मंगलकार्यों की भी शुरुआत हो जाती है।
अलग-अलग नाम से मनाई जाती है ‘संक्रांति’
बता दें भारतीय पंचांग पद्धति की सभी तिथियां चंद्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित होती है। लेकिन मकर संक्रांति अकेला ऐसा पर्व है जिसे सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इस कारण हर साल यह पर्व 14 जनवरी को आता है और अन्य पर्वों की तारीख बदलती रहती है। मकर संक्रांति को भारत में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। पंजाब में इसे लोहडी, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति, गुजरात में उत्तरायण, तमिलनाडु में पोंगल, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं।
अपनी राशि के अनुसार इन वस्तुओं का करें दान
मेष – गुड़ और लाल मसूर दान करें।
वृष- सतनजा (सात अनाज ) और कंबल दान करें
मिथुन- काला कंबल दान करें।
कर्क- साबुत उड़द दान करें।
सिंह- लाल मसूर और ऊनी वस्त्र दान करें।
कन्या- चने की दाल और कंबल दान करें।
तुला- काला कंबल दान करें।
वृश्चिक- सतनजा (सात अनाज) दान करें।
धनु- गुड़ और साबुत उड़द दान करें।
मकर- साबुत उड़द और चावल का मिश्रण दान करें।
कुंभ- काला कंबल और सरसों का तेल दान करें।
मीन- साबुत उड़द दान करें।