चैतन्य भारत न्यूज
सबसे बड़े पर्यावरण संकट का सामना कर रहे मॉरीशस की मदद को अब भारत आगे आया है। दरअसल मॉरीशस की सरकार ने साउथ-ईस्ट कोस्ट में ईंधन लीक से निपटने के लिए मदद मांगी थी। जिसके बाद भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना के विमान के जरिए मॉरीशस के लिए 30 टन से अधिक तकनीकी उपकरण और सामग्री भेजी है।
#SAGAR Policy at work.
To assist Mauritius in its ongoing #oilspill containment & salvage operations, an IAF aircraft has just landed in Port Louis with 30T of specialized equipment along with a 10-member Technical Response Team from @IndiaCoastGuard pic.twitter.com/muRYOy6mOp— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 16, 2020
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसकी जानकरी दी है। उन्होंने बताया कि, ‘पोर्ट लुई में भारतीय एयरक्राफ्ट लैंड कर गया है। इस विमान में भारतीय कोस्ट गार्ड की 10 सदस्यीय तकनीकी टीम भी गई है। विशेष उपकरण जिसमें ओशन बूम, रिवर बूम, डिस्क स्किमर्स, हेली स्किमर्स, पावर पैक, ब्लोअर्स, साल्वेज बार्ज और ऑयल एब्जॉर्बेंट ग्राफीन पैड्स और अन्य सामान शामिल हैं जिन्हें विशेष रूप से ऑइल स्लीक, पानी से युक्त स्किम ऑइल को हटाने में प्रयोग किया जाता है और ये सफाई और बचाव कार्यों में सहायता करते हैं।’
विदेश मंत्री ने बताया कि, ’10-सदस्यीय तकनीकी रिस्पांस टीम में भारतीय तटरक्षक बल के कर्मी शामिल हैं। ये टीम विशेष रूप से तेल रिसाव रोकथाम उपायों से निपटने के लिए प्रशिक्षित है। इन्हें मॉरीशस में तैनात किया गया है ताकि साइट पर आवश्यक तकनीकी और परिचालन सहायता का विस्तार किया जा सके। भारत की सहायता हिंद महासागर क्षेत्र में अपने पड़ोसियों के लिए मानवीय सहायता और आपदा राहत का विस्तार करने की नीति के अनुरूप है, जो कि सागर (प्रधानमंत्री की सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास) द्वारा निर्देशित है। तत्काल सहायता भारत और मॉरीशस के बीच दोस्ती के करीबी और भारत की मॉरीशस के लोगों की सहायता करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’
एक हजार टन तेल समुद्र में फैला
गौरतलब है कि जापान के एक स्वामित्व वाले जहाज से कई टन तेल का रिसाव हो गया। एमवी वाकाशिओ नामक यह विशाल जहाज 25 जुलाई को मॉरीशस के मूंगा-चट्टान से जा टकराया और इसका ढांचा तेज लहरों के साथ टूटना शुरू हुआ, जिसके बाद जहाज से तेल रिसाव शुरू हो गया। तेल टैंकर के दो टुकड़े हो गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसमें शेष बचा तेल समुद्र में फैल गया है। जानकारी के मुताबिक, जहाज में चार हजार टन तेल लदा था, जिसमें से करीब एक हजार टन समुद्र में फैल गया था। हालात की गंभीरता को देखते हुए मारीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा की थी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी थी।