चैतन्य भारत न्यूज
14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं इसलिए इस दिन मीन संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। सभी संक्रांतियों की तरह मीन संक्रांति का दिन भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। यह एक माह का चक्र होता है। इस दिन दान पुण्य के कार्य किए जाते हैं। आइए जानते हैं मीन संक्रांति का महत्व और पूजा-विधि।
मीन संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति की ही तरह मीन संक्रांति पर भी स्नान-ध्यान, दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सुख-समृद्धि पाने के लिए मां गंगा का ध्यान करें। अगर आप मीन संक्रांति के अवसर पर गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो यमुना, गोदावरी या अन्य किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं।
मीन संक्रांति की पूजा-विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठ स्नान कर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।
- पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। साथ ही रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं।
- सूर्यदेव को गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं।
- इसके बाद लाल चंदन की माला से ‘ॐ भास्कराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- पूजन के बाद नैवेद्य लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें।