चैतन्य भारत न्यूज
मानसून लगभग सभी प्रदेशों में दस्तक दे चुका है और इसी सक्रियता को देखते हुए मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में कई राज्यों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी दी है। इस दौरान उत्तर पूर्वी दक्षिण और पश्चिमी तटीय राज्यों में भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने ओडिशा, उत्तराखंड, केरल, दक्षिण कर्नाटक, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, कोंकण-गोवा, गुजरात, पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों में भारी बारिश होने की चेतावनी दी है।
मौसम विभाग के मुताबिक, अरब सागर में 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है। जिससे कर्नाटक के तटीय इलाकों में तेज लहरें उठने की संभावना है ऐसे में केरल और लक्षद्वीप में अलर्ट है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, अगले दो दिनों में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, व राजस्थान के शेष हिस्सों में मानसून की पूरी सक्रियता के आसार है।
पिछले दो दिनों में उत्तर और पूर्वी भारत में हुई बारिश हुई। वहीं महाराष्ट्र के कोल्हापुर में लगातार बारिश से 14 जलाशयों में पानी बढ़ गया है। इसके अलावा नासिक में 24 घंटो के भीतर रिकॉर्ड 17 सेमी से ज्यादा बारिश हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोदावरी नदी के किनारे बसे 250 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया।
रविवार को देश में सामान्य से 39% ज्यादा बारिश हुई
रविवार की शाम तक देश में 12.1 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। यह सामान्य (8.7 मिमी) से 39% से ज्यादा है। इसके अलावा रविवार को 13 राज्यों में सामान्य से बहुत ज्यादा और 2 राज्यों में भारी बारिश हुई। वहीं 6 राज्यों में सामान्य बारिश हुई जबकि 9 राज्यों में सामान्य से बहुत कम हुई। इसके अलावा 6 राज्यों में सामान्य से कम बारिश रिकार्ड की गई।
खरीफ की फसल पर देखने को मिला बारिश का असर
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, जून और जुलाई के पहले हफ्ते में मानसूनी बारिश कम होने से खरीब की फसल प्रभावित हुई है। पिछले साल से अभी तक खरीफ फसलों की बुआई का रकबा 27 फीसदी घटकर 234.33 लाख हेक्टेयर रहा है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, यह पिछले साल 319.68 लाख हेक्टेयर था। बता दें धान खरीब की मुख्य फसल है। धान की रोपाई में सबसे ज्यादा कमी छत्तीसगढ़, हरियाणा, यूपी, मध्यप्रदेश, ओडिशा, असम, बिहार, कर्नाटक, बंगाल में हुई है। इसी के चलते पिछले हफ्ते सरकार ने 14 करीब फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है।