चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद में शनिवार को बड़ा फैसला सुनाया। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया, जिस पर वो मस्जिद बना सकें। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने असंतुष्टि जताई।
जफरयाब जिलानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं है। इसे लेकर हम विचार करेंगे।’ उन्होंने कहा कि, ‘हमें न बराबरी मिली और न ही न्याय। फैसले पर असहमति जताना हमारा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट भी कभी-कभी गलत हो सकता है। कोर्ट ने पहले भी अपने फैसलों पर पुनर्विचार किया है, अगर हमारी वर्किंग कमिटी फैसला लेती है तो हम भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।’
Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board: Respect the verdict but the judgement is not satisfactory. There should be no demonstration of any kind anywhere on it. #AyodhyaJudgment pic.twitter.com/g956DuJ5sB
— ANI (@ANI) November 9, 2019
जिलानी ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह भी कहा कि, ‘फैसले के बाद शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखें। यह किसी की जीत या हार नहीं है। हम आगे की कार्रवाई पर फैसला लेंगे। हालांकि फैसला हमारी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा।’ जिलानी के मुताबिक, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी बोर्ड की बैठक के बाद ही यह फैसला लिया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए या नहीं। जिलानी ने कहा कि, उनका मानना है कि फैसले के आधार पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जानी चाहिए।
वहीं मुस्मिल पक्ष के पैरोकार इकबाल अंसारी ने फैसला आने के बाद कहा कि, ‘कोर्ट ने जो कुछ कहा, ठीक कहा। हम पहले से ही कहते रहे हैं कि कोर्ट जो भी फैसला करेगी उसे स्वीकार करेंगे। अब सरकार को फैसला करना है कि वह हमें जमीन कहां पर देती है।’
अयोध्या मामले पर फ़ैसला आ चुका है।
एक बार फिर आपसे अपील करता हुँ कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फ़ैसले का हम सभी मिलजुलकर सम्मान व आदर करे।
किसी प्रकार के उत्साह ,जश्न व विरोध का हिस्सा ना बने।
अफ़वाहों से सावधान व सजग रहे।किसी भी प्रकार के बहकावे में ना आवे।
1/4— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 9, 2019
वहीं अन्य पार्टियों के नेताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया। साथ ही लोगों से देश में शांति बनाए रखने की अपील भी की। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि, ‘एक बार फिर आपसे अपील करता हुं कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का हम सभी मिलजुलकर सम्मान व आदर करे।’
1. माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस दिव्य फ़ैसले का स्वागत। माननीय अशोक सिंघल जी को स्मरण करते हुए उनको शत्-शत् नमन। वह सब, जिन्होंने इस कार्य के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी उन्हें श्रद्धांजलि एवं …
— Uma Bharti (@umasribharti) November 9, 2019
उमा भारती ने ट्वीट में लिखा कि, ‘माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस दिव्य फैसले का स्वागत। माननीय अशोक सिंघल जी को स्मरण करते हुए उनको शत्-शत् नमन। वह सब, जिन्होंने इस कार्य के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी उन्हें श्रद्धांजलि।’
मानवता और संविधान भी हमारा धर्म है। हमें एकता,भाईचारे और प्रेम के साथ अपना हर धर्म निभाना है।
जो भी फ़ैसला हो उसका आदर करते हुए हर हिंदुस्तानी का फ़ैसला शांति,एकता व अहिंसा के मार्ग पर चलने का ही होगा।
आओ मिलकर दुनिया को दिखा दें “ये गांधी का देश है,यहाँ एकता का परिवेश है”।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 9, 2019
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि, ‘मानवता और संविधान भी हमारा धर्म है। हमें एकता, भाईचारे और प्रेम के साथ अपना हर धर्म निभाना है। आओ मिलकर दुनिया को दिखा दें ये गांधी का देश है, यहां एकता का परिवेश है।’
Congratulations everybody on a peaceful resolution of a longstanding dispute. I will urge everybody to observe restraint in celebrating the verdict. Any inciting or insulting behaviour will be acted against.
— Anuj K Jha (@anujias09) November 9, 2019
फैसला आने के बाद अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा ने बधाई देते हुए कहा है कि, ‘लोगों से आग्रह है कि फैसले के बाद जश्न न मनाएं। किसी तरह के अपमानजनक या उकसावे वाले व्यवहार पर कार्रवाई की जाएगी।’