चैतन्य भारत न्यूज
सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है। मान्यता है कि, इस महीने में वह बेहद खुश रहते हैं और उनके भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं। सावन में शिवलिंग पर जल, दूध आदि चढ़ाने से माना जाता है कि भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान पर दूध चढ़ाने के बाद दूध का रंग नीला हो जाता है। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर की दिलचस्प कहानी।
कहां स्थित है ये मंदिर
यह रहस्यमयी मंदिर केरल के कीजापेरुमपल्लम गांव में कावेरी नदी के तट पर स्थित है, जिसे नागनाथस्वामी मंदिर या केति स्थल के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, नौ ग्रह में से प्रत्येक ग्रह का संबंध किसी ना किसी देवी-देवता से है। ठीक इसी तरह यह मंदिर केतु देव को समर्पित है लेकिन इस मंदिर के मुख्य देव भगवान शिव है जिन्हें नागनाथस्वामी के नाम से जाना जाता है।
नागनाथस्वामी मंदिर की विशेषता
इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा केतु देवता की प्रतिमा भी स्थापित है। केतु देवता की प्रतिमा पर ही दूध चढ़ाया जाता है। यहां पर जब दूध से केतु की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है तब दूध का रंग बदलकर सफेद से नीला हो जाता है। कहा जाता है कि, जो लोग केतु ग्रह के दोष से पीड़ित होते हैं केवल उन्हीं लोगों द्वारा चढ़ाया गया दूध ही अपना रंग बदल देता है और दूध सफेद से नीला पड़ जाता है।
मान्यता है कि, इस मंदिर में पूजा करने से कुंडली में से राहु-केतु संबंधित दोष दूर हो जाते हैं। इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि, केतु की प्रतिमा पर सांप भी दिखाई देते हैं जिन्हें नागों का स्वामी माना जाता है। सावन माह के दौरान भारी संख्या में यहां पर लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। हालांकि दूध का रंग नीला होने के पीछे अभी तक किसी वैज्ञानिक कारण का पता नहीं चल सका है।
नागनाथस्वामी मंदिर की पौराणिक कथा
इस मंदिर की एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है जिसमें कहा गया कि, एक बार एक ऋषि के शाप से मुक्त होने के लिए केतु ने शिव की आराधना की थी जिससे शिव बहुत खुश हुए थे। उन्होंने शिवरात्रि के दिन केतु को ऋषि के शाप से मुक्ति दिलाई। यही वजह है कि, केतु को समर्पित इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिव हैं।
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