चैतन्य भारत न्यूज
देवर्षि नारद मुनि के जन्मोत्सव को नारद जयंती (Narad Jayanti) के रूप में मनाया जाता है। इस साल 9 मई यानी आज नारद जयंती मनाई जा रही है। वैदिक पुराणों के अनुसार नारद मुनि देवताओं के दूत और सूचनाओं का स्रोत हैं। मान्यता है कि नारद जी तीनों लोकों, आकाश, स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल या जहां चाहे विचरण कर सकते हैं। इन्हें प्रथम पत्रकार भी कहा जाता है। ऋषि नारद भगवान नारायण के भक्त हैं, जो भगवान विष्णु के रूपों में से एक है।
नारद जयंती की पूजा विधि
- नारद जयंती के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्यकर्म और स्नान करें। वस्त्र धारण करें।
- पूजाघर में जाकर साफ-सफाई करें और हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें।
- मन ही मन ऋषि नारद का ध्यान करते हुए पूजा-अर्चना करें
- नारद मुनि को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, पुष्प, धूप चढ़ाएं।
- शाम को पूजा करने के पश्चात नारद मुनि के प्रिय भगवान विष्णु की आरती गाएं।
- अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान दें।
ब्रह्मा जी से अविवाहित रहने का मिला श्राप
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण कर रहे थे तब उनके चार पुत्र हुए। जो बड़े होने पर तपस्या करने के लिए चले गये। ब्रह्मा के सभी पुत्रों में से नारद सबसे चंचल स्वभाव के थे वह किसी की बात नहीं मानते थे। जब ब्रह्मा ने अपने पुत्र नारद से सृष्टि के निर्माण में सहयोग करने के लिए विवाह करने की बात कही तब नारद ने अपने पिता को साफ मना कर दिया। जिस पर क्रोधित होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे दिया। नारद मुनि को श्राप देते हुए ब्रह्मा ने कहा तुम हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भागते हो इसलिए अब पूरी जिंदगी इधर उधर भागते ही रहोगे।