चैतन्य भारत न्यूज
नेता जी सुभाषचंद्र बोस एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने विचारों से लाखों लोगों को प्रेरित किया था। आज सुभाषचंद्र बोस की 124वीं जयंती है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। सुभाष चंद्रबोस एक संपन्न परिवार से थे। नेता जी बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज थे और देश की आजादी में अपना योगदान देना चाहते थे। आज हम आपको बताएंगे नेता जी से जुड़ी कुछ खास बातें।
- ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा….’ जैसा नारा देने वाले व आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाषचंद्र का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था।
- जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। अंग्रेज सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब भी दिया था। नेताजी अपनी माता-पिता की 14 संतानों में से नौवीं संतान थे।
- उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाषचंद्र आई.सी.एस. बनें। उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की। 1920 की आई.सी.एस. परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाषचंद्र का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था। 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया।
- सुभाषचंद्र ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भगत सिंह की फांसी रुकवाने का भरसक प्रयत्न किया। उन्होंने गांधी जी से कहा कि वह अंग्रेजों से किया अपना वादा तोड़ दें लेकिन वह भगत सिंह को बचाने में नाकाम रहे।
- साल 1942 में नेता जी सुभाषचंद्र ने हिटलर से मुलाकात की थी। लेकिन हिटलर के मन में भारत को आजाद करवाने के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं थी। हिटलर ने सुभाष को सहायता का कोई स्पष्ट वचन नहीं दिया था।
- कहा जाता है कि जब नेता जी ने देश को आजाद कराने के लिए जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।
- सबसे पहले गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था। और सुभाषचंद्र बोस जी को नेताजी कहने वाला पहला शख्स एडोल्फ हिटलर ही था।
- सुभाषचंद्र साल 1934 में अपना इलाज करवाने ऑस्ट्रिया गए थे, जहां उनकी मुलाकात एक एमिली शेंकल नाम की टाइपिस्ट महिला से हुई। नेताजी इस महिला से अपनी किताब टाइप करवाने के लिए मिले थे। इसके बाद नेताजी ने 1942 में इस महिला से शादी कर ली।
- साल 1945 में 18 अगस्त को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत हो गई थी। लेकिन ये कहा जाता है कि सुभाषचंद्र जीवित बच निकले थे और वहां से रूस चले गए थे। सुभाषचंद्र की मौत आज तक एक रहस्य की तरह ही है। भारत सरकार ने उनसे जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए कई बार अलग-अलग देश की सरकार से संपर्क किया लेकिन उनके बारे कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई।