चैतन्य भारत न्यूज
खाना बनाने की इच्छा न होने पर आपके घर तक किसी होटल का स्वादिष्ट व्यंजन पहुंचाने वाली ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियां अब खुद के द्वारा बने खाने की डिलीवरी को बढ़ावा दे रही हैं। ये कंपनियां दूसरे होटल या रेस्टोरेंट में बने खाने की डिलीवरी करने के बजाय खुद के क्लाउड किचन में बने सस्ते और स्वस्थ खाने को प्रमोट कर रही हैं।
इन कंपनियों ने अब छोटे से लेकर बड़े शहरों तक क्लाउड किचन खोल लिया है। फूड डिलीवरी कंपनियों की इस नई पेशकश से नए उद्यमियों को तो मौका मिल रहा है लेकिन इससे सभी होटल्स और रेस्टोरेंट्स पर संकट आ गया है। उनके लिए लागत के मामले में ऑनलाइन कंपनियों से मुकाबला करना मुश्किल साबित हो रहा है। जानकारी के मुताबिक, जोमैटो ने नए उद्यमियों को किचन खोलने के लिए जमीन उपलब्ध कराने पर दो से चार लाख रुपए हर महीने कमाई करने का प्रस्ताव दिया है। जोमैटो ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि, करीब 2 से 3 हजार वर्ग फीट की जमीन और 35 लाख रुपए के निवेश से हर महीने निश्चित आय हो सकती है। इसके लिए उन्हें सिर्फ जोमैटो को एक किचन का निर्माण करके देना होगा।
जोमैटो के अलावा उबर ईट्स भी इस तरह का ऑफर दे रही है। हालांकि, यह ऑफर अभी भारत के बजाय दूसरे देशों दक्षिण कोरिया, अमेरिका और यूरोपीय देशों में मिल रहा है। फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने तो नई पहल करते हुए अपने कस्टमर्स को घर पर बने खाने की डिलीवरी करने की शुरुआत की है। ‘स्विगी डेली’ एप के जरिए गुरुग्राम में घर की रसोई द्वारा तैयार किया गया खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। आने वाले महीनों में यह सेवा मुंबई और बेंगलुरु में भी शुरू हो जाएगी।
कंसल्टेंसी फर्म मार्केट रिसर्च फ्यूचर की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 तक भारत में ऑनलाइन फूड डिलीवरी मार्केट सालाना 1.1 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। शहरों में कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या का एक कारण यह भी है। ऑनलाइन कारोबार को 2023 तक 16.2% की वार्षिक ग्रोथ रेट मिल सकती है। ऑफर के चलते 95% लोग और ट्रैफिक व समय की बचत के चलते 84% लोग ऑनलाइन खाना आर्डर करते हैं।