चैतन्य भारत न्यूज
जैन समाज का सबसे पावन त्योहार पर्युषण पर्व 27 अगस्त यानी आज से शुरू हो रहा है। जैनियों की श्वेताम्बर शाखा के अनुयायी जहां अगले 8 दिनों तक यह पर्व मनाएंगे, वहीं दिगम्बर समुदाय के जैन धर्मावलंबी 10 दिनों तक इस पावन व्रत का पालन करेंगे। पर्युषण अर्थात परि+उषण यानी आत्मा के उच्चभावों में रमण और आत्मा के सात्विक भावों का चिंतन करना होता है।
भादो महीने में मनाए जाने वाले इस पर्व के दौरान धर्मावलंबी जैन धर्म के पांच सिद्धांतों- अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (आवश्यकता से अधिक धन जमा न करना) व्रत का पालन करते हैं। हम आपको बताने जा रहें हैं पर्युषण पर्व पर किन बातों का खास ख्याल रखा जाता है और कौन से काम किए जाते हैं।
इस बात का रखा जाता है खास ध्यान
चातुर्मास यानी बरसात में कई जीवों का जन्म होता है और धीरे-धीरे हरियाली बढ़ जाती है। इसलिए सूक्ष्म जीवों के नाश की आशंका को देखते हुए आहार में ‘खाद्य-अखाद्य’ का विशेष ध्यान रखा जाता है। दरअसल जैनी आचरण और व्यवहार से जीव मात्र की रक्षा को अपना परम कर्तव्य मानते हैं।
पर्युषण पर्व पर करते हैं ये प्रमुख काम
- पर्युषण पर्व के दौरान रथयात्रा या शोभायात्राएं निकाली जाती हैं।
- मंदिरों या जिनालयों की विशेष सफाई की जाती है और उन्हें भव्य तरीके से सजाया जाता है।
- पर्युषण पर्व के दौरान सभी श्रद्धालु धर्म ग्रंथों का पाठ करते हैं। साथ ही इससे संबंधित प्रवचन सुनते हैं।
- पर्व के दौरान कई श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं। इस दिन दान देना भी महत्वपूर्ण माना गया है।
- मंदिरों, जिनालयों या सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक भोज का आयोजन किया जाता है।