चैतन्य भारत न्यूज
पर्युषण जैन समाज का सबसे बड़ा पर्व है। इस पर्व को पर्वाधिराज कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मा के विकारों को दूर करने का होता है। जैन समाज पर्युषण पर्व को दस दिनों तक मनाता है, इसलिए इस पर्व को दशलक्षण पर्व भी कहते है। इस पर्व को हर साल भाद्रपद मास में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार पर्युषण पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इसका महत्व।
पर्युषण पर्व का महत्व
हिंदुओं में जो महत्व नवरात्रि, गुरु पर्व, बुद्ध पुर्णिमा का है वही महत्व जैनों में पर्युषण पर्व का है। पर्युषण पर्व पर्वों में सिरमौर है। जैनियों की आस्था का केंद्र और विश्व शांति का सुधार है। यह पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस दिन संसार के समस्त प्राणियों से जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा याचना कर सभी के लिए मंगल कामना की जाती है। साथ ही खुद को प्रकृति के निकट ले जाने का प्रयास किया जाता है।
दस दिनों तक ऐसे मनाया जाता है पर्युषण पर्व
दस दिनों तक उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य को धारण किया जाता है। समाज के सभी पुरूष, महिलाएं एवं बच्चे पर्युषण पर्व को पूर्ण निष्ठा के साथ मनाते हैं।