चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में पौष अमावस्या तिथि का काफी महत्व है। मान्यता है कि इस तिथि को दान, पुण्य और तर्पण करने का कई गुना फल मिलता है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है। इस बार पौष अमावस्या 13 जनवरी को है। आइए जानते हैं पौष अमावस्या का महत्व और पूजा-विधि।
पौष अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म के मुताबिक, पितरों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या के दिन तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। पौष अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण के लिए नदी या कुंड में स्नान करने के पश्चात तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन, फूल डालकर सूर्यदेव को अर्पित करें। इसके बाद पितृों के तर्पण के लिए प्रार्थना करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पौष अमावस्या पूजन-विधि
- पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।
- इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
- तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें।
- पितृ दोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।
- पौष अमावस्या के दिन गरीबों को वस्त्र दान करना चाहिए।