चैतन्य भारत न्यूज
इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। जैसे नवरात्र को देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और भोजन ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं। इस दौरान पितरों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध किया जाता है। आइए जानते हैं श्राद्ध के उन मंत्र के बारे जिन्हें जपने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
तर्पण मंत्र
पिता को इस मंत्र से अर्पित करें जल
अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पिता को 3 बार जल दें।
माता को इस मंत्र से अर्पित करें जल
माता को जल देने के लिए अपने (गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र के साथ पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
दादीजी को इस मंत्र के साथ दें जल
अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें- गोत्रे अस्मत्पितामह (दादीजी का नाम) लेकर बोलें, वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से जितनी बार माता को जल दिया उतनी बार दादी को भी दें।