चैतन्य भारत न्यूज
कोरोना महामारी को हराने के लिए 16 जनवरी से शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान को लेकर तैयारियां लगातार जारी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत से पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की। इस बैठक में सभी राज्यों ने टीकाकरण अभियान को लेकर तैयारियों का ब्योरा पेश किया। बता दें कि भारत के औषधि नियामक ने दो वैक्सीनों (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) को आपात उपयोग की अनुमति दी है।
PM Narendra Modi to interact with Chief Ministers of all states via video conferencing today. They will discuss the #COVID19 situation and vaccination rollout. (File photo) pic.twitter.com/VOtjC9uKhw
— ANI (@ANI) January 11, 2021
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि, हमारा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है। ये चरण है वैक्सीनेशन का। 16 जनवरी से हम दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि, देश के औषधि नियामक की ओर से जिन दो कोरोना वायरस वैक्सीनों को आपात उपयोग की अनुमति दी गई है वो दोनों ‘मेड इन इंडिया’ हैं। चार और वैक्सीन पर काम चल रहा है। जब और वैक्सीन आ जाएंगी तो भविष्य की तैयारी के लिए काफी सुविधा होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जो करने वाला है उसे दुनिया फॉलो करेगी।
मुख्यमंत्रियों संग बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना का वैक्सीन लगेगा। इसके बाद सफाई कर्मियों को टीका लगेगा। इसके बाद पुलिसकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों, सुरक्षा बल के जवानों को कोरोना का वैक्सीनेशन होगा। दूसरे चरण में 50 वर्ष से ऊपर के लोगों और जो लोग संक्रमण के लिए ज्यादा संवेदनशील हैं, उन्हें टीका लगेगा। अलग-अलग राज्यों के फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स की संख्या देखें तो यह करीब 3 करोड़ होती है। यह तय किया गया है कि पहले चरण में इन 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने में जो खर्च होगा उसे राज्य सरकारों को नहीं देना, उसे भारत सरकार वहन करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि वैक्सीन के संबंध में अफवाहों को कोई हवा न मिले। ‘इफ’ और ‘बट’ पर कोई बात नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई शरारती ततत्व इस अभियान में अड़ंगा लगाने का काम कर सकते हैं। लेकिन, ऐसी हर कोशिश को देश के हर नागरिक तक सही जानकारी पहुंचाकर नाकाम करना है। हमारी दोनों वैक्सीन दुनिया की बाकी सभी वैक्सीनों की तुलना में ज्यादा ‘कॉस्ट इफेक्टिव’ हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे संकट के दौर में कोरोना वायरस की वैक्सीनों के लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता तो क्या स्थिति होती इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश वासियों को सुरक्षित वैक्सीन देने के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने सभी सावधानियां बरती हैं। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही कह दिया था कि इस विषय में जो भी निर्णय होगा वह वैज्ञानिक समुदाय का होगा।