चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में हर महीने के शुक्ल और कृष्ण दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा अराधना की जाती है। इस महीने 22 जनवरी को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह साल 2020 का दूसरा बुध प्रदोष व्रत होगा। आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दिन है, जो प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ता है उसे बुध प्रदोष कहते हैं। मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। यह व्रत सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश का होता है, इस तिथि पर उनके पिताजी भगवान शिव की पूजा करने से गणपति भी खुश होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
बुध प्रदोष व्रत पूजन-विधि
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- प्रदोष पूजा शाम के समय होती है।
- आज के दिन भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढाएं।
- प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें।
- उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शंकर का पूजन करें।
- पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे।
- अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें।
बुध प्रदोष व्रत मुहूर्त
माघ मास की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 22 जनवरी दिन बुधवार को तड़के 01.44 से हो रहा है, जो अगले दिन 23 जनवरी दिन गुरुवार को तड़के 01.48 तक रहेगी।