चैतन्य भारत न्यूज
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।
प्रदोष व्रत से मिलने वाला फल
प्रदोष के दिन पूजा-पाठ और दान करने का काफी महत्व है। इस व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत शत्रु पर विजय पाने के लिए भी करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान भोलेनाथ का स्मरण करें।
- इस दिन आहार नहीं लिया जाता है।
- पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद ही पूजा शुरू करें।
- पूजा के समय उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठकर भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।
- भगवान शिव को बेल पत्र, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाए जाते हैं।
- पूजन में शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करें।