चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर सोमवार को कोर्ट और जजों की अवमानना के मामले में 1 रुपए का जुर्माना लगाया था। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि भूषण ने 15 सितंबर तक फाइन नहीं भरा तो उन्हें 3 महीने की जेल होगी और 3 साल के लिए प्रैक्टिस पर रोक लगा दी जाएगी। इसके बाद प्रशांत भूषण ने कहा, ‘मैंने आभार के साथ फैसला मंजूर कर लिया। अदालत के आदेश के तुरंत बाद मेरे साथी राजीव धवन ने कोर्ट की रजिस्ट्री में 1 रुपया जमा करवा दिया।’
प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार किया था
कोर्ट और चीफ जस्टिस पर कमेंट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को अवमानना का दोषी ठहराया था। कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही भूषण को बिना शर्त माफी मांगने की मौका भी दिया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। भूषण ने कहा था कि माफी मांगी तो यह अंतरात्मा और कोर्ट की अवमानना होगी।
My lawyer & senior colleague Rajiv Dhavan contributed 1 Re immediately after the contempt judgement today which I gratefully accepted pic.twitter.com/vVXmzPe4ss
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
क्या है पूरा मामला
22 जून को वरिष्ठ वकील ने कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी। इन ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।
भूषण के इन 2 ट्वीट को कोर्ट ने अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। फोटो में सीजेआई बिना हेलमेट और मास्क के नजर आ रहे थे। भूषण ने लिखा था कि सीजेआई ने लॉकडाउन में अदालतों को बंद कर लोगों को इंसाफ देने से इनकार कर दिया।
अवमानना के एक केस में भूषण पहले ही अफसोस जता चुके
2009 में तहलका मैगजीन को दिए इंटरव्यू में भूषण ने 16 पूर्व चीफ जस्टिस (सीजेआई) को भ्रष्ट बताया था। बाद में भूषण ने कोर्ट में अफसोस जताते हुए कहा कि भ्रष्ट शब्द आर्थिक भ्रष्टाचार के लिए नहीं, बल्कि शिष्टाचार की कमी के मायनों में इस्तेमाल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह पता करना चाहता है कि क्या मौजूदा और पूर्व जजों के खिलाफ इस तरह भ्रष्टाचार के आरोप लगाना सही है?