चैतन्य भारत न्यूज
अयोध्या को भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से इसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि अयोध्या की एक ऐसी राजकुमारी जो कोरिया की महारानी बन गई थी?
दरअसल अयोध्या और कोरिया का संबंध प्राचीन है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि सन 48 में अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्न कोरिया गई थीं। जहां राजकुमार किमसूरो से विवाह के उपरांत उनका नाम हवांग ओके हो गया। खबरों के मुताबिक, अयोध्या में सरयू नदी के किनारे कोरिया की उस महारानी का स्मारक भी है, जो कभी यहां की राजकुमारी थीं।
चीनी भाषा में दर्ज दस्तावेज सामगुक युसा के मुताबिक, भगवान ने अयोध्या की राजकुमारी के पिता को स्वप्न में आकर ये निर्देश दिया था कि वो अपनी बेटी को राजा किम सू-रो से विवाह करने के लिए किमहये शहर भेजें। इसके बाद उनके पिता ने राजकुमारी को राजा सू-रो के पास जाने को कहा। लगभग दो महीने की समुद्री यात्रा के बाद राजकुमारी कोरिया के राजा के पास पहुंच गईं। कहते हैं कि उस समय राजकुमारी की उम्र 16 वर्ष थी, जब उनकी शादी राजा किम सू-रो से हुई थी और उसके बाद वो कोरिया की महारानी बन गईं।
राजकुमारी सुरीरत्न जब जल मार्ग से कोरिया रवाना हुईं तो अयोध्या से एक पत्थर ले गईं। नांव से समुद्र पार करने के बाद सूरीरत्ना कोरिया पहुंची। यहां उनकी मुलाकात राजा सूरो से हुई। उन्होंने अपने सपने के बारे में राजा को बताया और फिर उन दोनों की शादी हो गई। शादी के बाद सूरीरत्ना का नाम बदल कर हियो ह्वांग रख दिया गया। सूरीरत्ना के मरने के बाद उनकी कब्र पर अयोध्या से लाया गया पत्थर भी रखा गया।
कहा जाता है कि, सुरीरत्ना यह पत्थर नाव को स्थिर रखने के लिए ले गई थी। यही पत्थर उनके पगोड़ा मे स्मृति चिह्न के रूप में संरक्षित है। कहा जाता है कि हवांग ओके और किमसूरो 150 वर्ष तक जीवित रहे। इनकी पुत्र और पुत्रियों से दक्षिण कोरिया की आबादी का 10 फीसदी (करीब 60 लाख) जनसंख्या है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल सैकड़ों दक्षिण कोरियाई अपनी पौराणिक महारानी हियो ह्वांग-ओक को श्रद्धांजलि देने के लिए भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या का दौरा करते हैं।