चैतन्य भारत न्यूज
जयपुर. कांग्रेस ने मंगलवार को बेरोजगारी, महंगाई और केंद्र सरकार की कई आर्थिक नीतियों और अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर राजस्थान की राजधानी जयपुर में ‘युवा आक्रोश रैली’ का आयोजन किया। इस रैली को कांग्रेस नेता और वायनाड सांसद राहुल गांधी ने संबोधित किया। रैली में राहुल ने आर्थिक संकट और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा।
21वीं सदी का हिंदुस्तान पूंजी को बर्बाद कर रहा
राहुल ने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन पिछले साल एक करोड़ युवाओं ने अपनी नौकरियों को खो दिया।’ राहुल ने युवाओं को देश की सबसे बड़ी पूंजी बताते हुए कहा कि, ‘हिंदुस्तान के पास उसकी सबसे बड़ी पूंजी उसके करोड़ों युवा हैं। हमारे पास दुनिया के सबसे अच्छे होशियार युवा हैं। पूरी दुनिया इस बात को मानती है कि हिंदुस्तान का युवा पूरी दुनिया को बदल सकता है। लेकिन 21वीं सदी का हिंदुस्तान अपनी इस पूंजी को बर्बाद कर रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी इस देश के लिए जो कर सकती है वह उसे करने नहीं दिया जा रहा है।’
Rahul Gandhi: The reputation&image that India had in the world was that it is a country of brotherhood,love&unity, while Pakistan was known for hatred and divisiveness. This image of India has been damaged by Narendra Modi. Today, India is considered as rape capital of the world. pic.twitter.com/4Ua5bJBE3C
— ANI (@ANI) January 28, 2020
45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
राहुल ने कहा कि, ‘केंद्र सरकार युवाओं पर ध्यान नहीं दे रही है। पिछले 45 साल में आज के समय में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है।’ राहुल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बंद कीं। सरकार को जीएसटी के बारे में पता नहीं है। जीएसटी से देश को बड़ा नुकसान हुआ है। जीएसटी से छोटे उद्योग-धंधे बंद हो गए। राहुल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी आवाज का दबने न दें।’
नागरिकता कानून का किया जिक्र
राहुल ने नागरिकता संशोधन कानून का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं सीएए, एनआरसी की बात करते हैं लेकिन बेरोजगारी का सबसे बड़ा मुद्दा है, पर पीएम इस पर एक शब्द भी नहीं बोलते हैं।’ उन्होंने देश की सुस्त आर्थिक स्थिति को लेकर कहा कि, ‘यूपीए सरकार के समय देश की जीडीपी की वृद्धि दर नौ प्रतिशत थी जो अब नये मानकों के हिसाब से भी घटकर पांच प्रतिशत रह गई।’