चैतन्य भारत न्यूज
पटना. देश-विदेश में मशहूर बिहार के गोविंद भोग चावल से अयोध्या के रामलला का भोग तैयार किया जाएगा। न सिर्फ भगवान का बल्कि भक्ताें के लिए भाेजन प्रसाद भी गाेविंद भाेग चावल से ही बनेगा। खबरों के मुताबिक, यह व्यवस्था पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट की ओर से की जाएगी जिसके चलते गुरुवार काे पटना से 60 क्विंटल गाेविंद भाेग चावल अयाेध्या भेजा गया।
महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशाेर कुणाल का कहना है कि, ‘1 दिसंबर को विवाह पंचमी के दिन से राम रसोई की शुरुआत हाेगी। अभी 6 ट्रक चावल कैमूर के माेकरी गांव से मंगवाया गया है। राम रसोई और भगवान के भाेग की सेवा लगातार चलती रहेगी।’
उन्होंने कहा कि, रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास जी से भगवान को भाेग लगाने के लिए बात हाे चुकी है। हमने उन्हें यह प्रस्ताव दिया कि अगर हम बिहार का गाेविंद भाेग उन्हें उपलब्ध कराएं, ताे क्या वे भाेग लगाएंगे। उन्हाेंने सहमति जताई।
गौरतलब है कि, रामलला के पक्ष में फैसला आने के बाद आचार्य कुणाल ने मंदिर निर्माण के लिए 10 कराेड़ रुपए की राशि देने की घाेषणा की थी। वहीं सत्येंद्र दास जी का कहना है कि वे पहले सरकारी पैसे से चावल खरीदकर भाेग लगाते थे।
गोविंद भोग चावल की खासियत
कैमूर में मुंडेश्वरी माता के मंदिर के नीचे स्थित माेकरी गांव का गोविंद भोग चावल सबसे सुगंधित माना जाता है। यहां के लोगों की मान्यता है कि, पहाड़ पर माता मुंडेश्वरी का मंदिर स्थित है। हर साल बारिश का पानी पहाड़ से माता के स्थान काे स्पर्श करते हुए माेकरी गांव में गिरता है। उस पानी से ही पूरे गांव और आसपास के कुछ गांवाें के खेत सिंचित हाेते हैं। इसलिए यहां पैदा होने वाला चावल सबसे ज्यादा खुशबूदार और स्वादिष्ट होता है। कैमूर इलाके में कतरनी चावल भी काफी मशहूर है। कहा जाता है कि, कैमूर के गाेविंद भाेग और कतरनी चावल कभी ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े व्यापारी लंदन भेजते थे। कई देशाें में इस चावल की काफी मांग थी।