चैतन्य भारत न्यूज
रांची. नाबालिगों की शादी पर रोक लगाने के लिए राजधानी रांची में जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल शुरू की है। शादी का कार्ड छापने वाले और खाना बनाने व परोसने वाले कैटररों को भी अब वर-वधू का बर्थ सर्टीफिकेट रखना होगा। उन्हें एक रजिस्टर रखना होगा, जिससे पता चल सके कि वर-वधू बालिग हैं। सोमवार को रांची के चाइल्ड लाइन के सिटी एडवाइजरी बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया।
इस दौरान उप विकास आयुक्त अनन्य मित्तल ने इस संबंध में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुमन सिंह को दिशा-निर्देश भी दिया। इस दौरान बैठक में शामिल सीडब्ल्यूसी, चाइल्ड लाइन व डीपीसीयू के प्रतिनिधियों ने बताया कि कई बार बच्चे को रेस्क्यू के दौरान पुलिस का सहयोग नहीं मिलता है। उप विकास आयुक्त ने कहा कि इस संबंध में पुलिस डिपार्टमेंट से बातचीत होगी।
बता दें, जिला बाल संरक्षण यूनिट (डीसीपीयू) के जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल, 2019 से जनवरी, 2020 तक 24 बाल विवाह के मामले रांची जिला में आए हैं। बैठक में बाल विवाह के लगातार मामले आने पर चिंता जताई गई है। कहा गया कि बाल विवाह रोकने के लिए कई नियम बनाए गए हैं, लेकिन इसका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है।
इसके अलावा बैठक में कहा गया कि, रांची जिले के शेल्टर होम में सामान्य बच्चों के साथ मानसिक रूप से बीमार बच्चों को भी रखा जा रहा है। नियमानुसार ऐसा नहीं होना चाहिए। रिनपास में चाइल्ड यूनिट नहीं होने से ऐसे बच्चों को शिफ्ट नहीं किया जाता है। सीडब्ल्यूसी की तनुश्री के मुताबिक, पांच बच्चे पूरी तरह से मानसिक बीमार हैं। उन्होंने रिनपास के डॉक्टर से अनुरोध किया था कि इन्हें दिनचर्या सिखाने के लिए ट्रेनिंग दी जाए।