चैतन्य भारत न्यूज
रंगों का त्योहार होली की शुरुआत चैत्र मास के कृष्णी पक्ष की प्रतिपदा से हो जाती है जो पंचमी तिथि तक चलता है। इसे रंग पंचमी कहते हैं। इस साल रंग पंचमी का त्योहार 14 मार्च को है। कुछ स्थानों पर इसे श्री पंचमी और देव पंचमी भी कहा जाता है। रंग पंचमी का उत्सव मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस उत्सव से जुड़ी खास बातें…
रंग पंचमी का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, रंग पंचमी का त्योहार तामसिक और राजसिक गुणों पर सत्त्वगुण (पवित्रता) की जीत और विजय का प्रतीक है। रंग पंचमी का त्योहार 5 प्रमुख तत्वों को सक्रिय करने में मदद करता है। इन प्रमुख तत्वों में हवा, आकाश, पृथ्वी, जल और प्रकाश शामिल हैं। पुराणों के अनुसार, मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पंच तत्त्वों से मिलकर बना हुआ है।
देवताओं को आकर्षित करते रंग
इस दिन होली की तरह ही एक-दूसरे को रंग लगाए जाते हैं। रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है। रंग देवताओं को भी आकर्षित करते हैं। मान्यता है कि रंग और गुलाल से वातावरण में ऐसा रंगीला माहौल बन जाता है कि व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक गुण प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि इस दिन रंग खेलने से ये पांचों देवता प्रसन्न होते हैं और सुख, समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देते हैं।