चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस व्रत में भगवान शिवजी की पूजा की जाती है और हर तरह के कष्ट दूर करने की प्रार्थना की जाती है। इस बार 16 अगस्त को रवि प्रदोष व्रत है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
प्रदोष व्रत का महत्व
मान्यता है कि, जो व्यक्ति इस व्रत को करता है वह लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त करता है। इसके अलावा यह व्रत जीवन के सारे दुख, संकट दूर करके व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है। शास्त्रों के मुताबिक, इस व्रत को करने से न केवल भगवान शिव बल्कि माता पार्वती की भी कृपा बनी रहती है।
प्रदोष व्रत पूजा-विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय होने से पहले स्नान करें। इसके बाद साफ हल्के सफेद या गुलाबी कपड़े धारण करें।
- सूर्योदय होने के बाद जल में शक्कर डालकर तांबे के लोटे से सूर्य देवता को अर्घ्य दें। अब इसी पानी के छींटे अपनी दोनों आंखों पर दें।
- पूजा करने के दौरान साफ आसन पर बैठकर ‘ॐ नमः शिवाय’ के मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें।
- इस दिन भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप मन ही मन करते रहें।
- शाम के समय भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करवाएं।
- चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पित करें।
- ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है।