चैतन्य भारत न्यूज
आपने मानव अधिकारों के बारे में तो जरूर सुना या पढ़ा होगा लेकिन बच्चों के अधिकार के बारे में बहुत कम ही बार सुनने में आता है। सरकार ने बच्चों के लिए भी कुछ अधिकार बनाए हैं जिनका पालन करना सभी का कर्त्तव्य है। संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) द्वारा जारी चाइल्ड राइट्स कंवेनशन पर भारत सहित सभी देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। भारतीय संविधान और राइट टू एजुकेशन जैसे अधिकारों ने बच्चों के हितों और हकों की हिफाजत के लिए बहुत-से दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत :
- सभी बच्चों के लिए बेहतर और जरूरी मेडिकल सुविधा (टीके आदि भी), अपंगता है तो विशेष सुविधा, साफ पानी, पौष्टिक आहार, स्वस्थ रहने के लिए साफ वातावरण आवश्यक है। सभी बच्चों को ये सुविधाएं उपलब्ध हों, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
- सभी बच्चों को 14 वर्ष की उम्र तक प्राथमिक शिक्षा मुफ्त उपलब्ध हो।
- स्कूलों में बच्चों के शारीरिक व बौद्धिक विकास के प्रयास के साथ ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचे।
- बच्चों को अपने परिवार की भाषा और तौर-तरीके सीखने का पूरा अधिकार है। जो परिवार अपने बच्चों का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो, उसको आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है।
- बच्चों को शारीरिक शोषण व खतरनाक ड्रग्स से दूर रखना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना माता-पिता के साथ-साथ सरकार की भी जिम्मेदारी है।
- शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन एक्ट- आरटीई) के तहत दस्तावेज के अभाव में किसी बच्चे को प्रवेश देने से नहीं रोका जा सकता।
- प्रवेश के नाम पर बच्चे का टेस्ट नहीं लिया जा सकता।
- आरटीई एक्ट के मुताबिक सभी निजी स्कूलों के लिए यह आवश्यक है कि वे एडमिशन के लिए अपनी कुल उपलब्ध सीटों का 25 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर व पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए रिजर्व रखें। इस कोटे की कोई भी सीट खाली नहीं बचनी चाहिए व सीटों के लिए बच्चों का चयन रैंडम आधार पर किया जाना जरूरी है।
- बड़ों को चाहिए कि वे बच्चों के विषय में निर्णय लेने से पहले उनका पक्ष भी जानें।
- बच्चे से अपराध होने की स्थिति में उनके साथ निर्दयता से पेश नहीं आना चाहिए।
- सरकार का दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि उन्हें कोई अगवा न कर सके। इस स्थिति में सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए।
- 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे की फैक्ट्री, माइंस और अन्य किसी भी खतरनाक काम में सेवाएं नहीं ली जा सकती हैं।
बच्चों की सहायता के लिए हेल्पलाइन
- बच्चों के अधिकारों को अनदेखा किए जाने की स्थिति में सबसे पहले उसी संगठन (स्कूल, कोचिंग, रेलवे, एयरलाइन, अस्पताल आदि) में अपना विरोध लिखित रूप में दर्ज कराना चाहिए।
- स्कूल से शिकायत होने पर डायरेक्टर एजुकेशन, ट्रेन में टीटी की शिकायत पुस्तिका में दर्ज करें। इसी प्रकार से अन्य स्थानों के विभाग या संस्थान प्रमुख को लिखा जा सकता है।
- बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होने की स्थिति में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष को इस पते पर लिखा जा सकता है। गौरतलब है कि हर राज्य में भी बाल अधिकार आयोग होता है। इसी तरह चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर होता है। इसका नंबर 1098 होता है।
- राष्ट्रीय बाल आयोग को इस पते पर पत्र भेजा जा सकता है। अध्यक्ष, नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स, 5वीं मंजिल, चंद्रलोक बिल्डिंग, 36, जनपथ, नई दिल्ली-110001
ई-मेल: complaints.ncpcr@gmail.com