चैतन्य भारत न्यूज
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस साल ऋषि पंचमी व्रत 23 अगस्त को है। अनजाने में हुए दोषों से मुक्ति पाने के लिए महिलाएं इस व्रत को करती हैं। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में पवित्रता का बहुत अधिक महत्व है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कई नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है लेकिन अनजाने में कई गलतियां हो जाती हैं जिससे मुक्ति पाने के लिए महिलाएं इस व्रत को करती हैं। इस व्रत में सप्त ऋषि की पूजा की जाती है और उनकी कथा सुनी जाती है।
ऋषि पंचमी व्रत की पूजा-विधि
- ऋषि पंचमी के दिन महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- पूजा के दौरान कलश की स्थापना की जाती है।
- सप्त ऋषियों की हल्दी, चंदन, पुष्प अक्षत आदि से पूजा की जाती है।
- इसके बाद महिलाएं सप्तऋषि की कथा सुनती हैं।
- इस व्रत के दौरान महिलाएं जमीन में बोया हुआ अनाज ग्रहण नहीं करती है। बल्कि पसई धान के चावल खाएं जाते हैं।