चैतन्य भारत न्यूज
सैनिटरी पैड्स के बारे में बात करने में कई लोग हिचकते हैं। खासतौर से पुरुषों की बात करें तो कई ऐसे पुरुष हैं जो इस बारे में बात करने से बचते हैं क्योंकि सैनिटरी पैड्स महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ा है। लेकिन सैनिटरी पैड का नाम लेने पर शर्म महसूस करने वाले पुरुषों को शायद ये नहीं पता होगा कि, पहली बार ये महिलाओं के लिए नहीं बल्कि पुरुषों के लिए ही बनाया गया था।
जी हां… ‘माय पीरियड ब्लॉग’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सैनिटरी पैड्स का प्रयोग सबसे पहले प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था। युद्ध के समय फ्रांस की कुछ नर्सों ने घायल हुए सैनिकों के रक्त के बहाव को रोकने के लिए इसे तैयार किया था। सैनिटरी पैड्स को बनाते समय खासतौर से ये ध्यान रखा गया था कि, ये आसानी से खून सोख सके और इसे एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक दिया जाए। जिस समय ये पैड्स सैनिकों के लिए बनाए जा रहे तो उसी समय कुछ नर्सों ने सैनिटरी पैड्स को पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
कॉटेक्स नाम की एक कंपनी ने साल 1888 में युद्ध के दौरान प्रयोग किए जाने वाले पैड की तरह ‘सैनिटरी टावल्स फॉर लेडीज’ के नाम से सैनिटरी पैड का निर्माण करना शुरू कर दिया। इससे पहले साल 1886 में जॉनसन ऐंड जॉनसन कंपनी ने ‘लिस्टर्स टावल्स’ नाम से डिस्पोजबल पैड्स बनाना शुरू कर दिए थे। लेकिन उस समय ये सैनिटरी पैड्स इतने ज्यादा महंगे थे कि ज्यादातर महिलाएं इसे खरीद नहीं पाती थी। इसलिए उच्च घराने के लोग ही इसका इस्तेमाल करते थे। समय के साथ-साथ इसका निर्माण करना कई लोगों ने शुरू कर दिया हुए फिर यह आम महिलाओं को भी कम पैसों में उपलब्ध होने लगे। हालांकि, आज भी हमारे देश की ऐसी कई छोटी जगह या गांव है जहां महिलाएं सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल नहीं करती हैं।