चैतन्य भारत न्यूज
भगवान गणेश को शुभ कार्यों का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा का महत्व संकष्टी चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और इसकी पूजा-विधि।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी की पूजन-विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
- उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
- भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
- गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
- गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
- पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
- इसके बाद भगवान गणेश के आगे दीप जला कर फूलों की माला अर्पित करें।
- संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।