चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में संतान सप्तमी का काफी महत्व है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को संतान सप्तमी व्रत किया जाता है। इस बार संतान सप्तमी 05 सितंबर दिन गुरुवार को है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। संतान की कुशलता और उन्नति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं संतान सप्तमी का महत्व और पूजा-विधि।
संतान सप्तमी का महत्व
कहा जाता है कि संतान सप्तमी का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन मां पार्वती और भगवान शंकर की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान नहीं है, उन्हें महादेव और मां पार्वती के आर्शीवाद से कार्तिक और गणेश जैसी तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है। जिन माताओं की संतान है, उन्हें भोलेनाथ और मां गौरी उन्नति और लंबी आयु का वरदान देते हैं।
संतान सप्तमी की पूजा-विधि
- संतान सप्तमी के दिन सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें
- इसके बाद भगवान शिव और मां गौरी के समक्ष प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करें।
- सप्तमी के व्रत में नैवेद्ध के रूप में खीर-पूरी तथा गुड़ के पुए बनाए जाते हैं।
- संतान की रक्षा की कामना करते हुए शिवजी को कलावा चढ़ाएं और बाद में इसे खुद धारण करें।
- इसके बाद व्रत कथा सुनें।