चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में सफला एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कोई भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से इस एकादशी का व्रत करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन के सभी कार्यों में सफलता मिलती है। इस बार सफला एकादशी 22 दिसंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं सफला एकादशी का महत्व और पूजन-विधि।
सफला एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म के मुताबिक, इस एकादशी के देवता भगवान श्री नारायण हैं। इसलिए इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। देवताओं में जैसे भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं वैसे ही सभी व्रतों में एकादशी व्रत अति उत्तम, श्रेष्ठ एवं पुण्यकारी है। शास्त्रों के मुताबिक, पांच हजार वर्ष तक तप करने से जिस फल की प्राप्ति जीव को होती है वही फल सफला एकादशी का व्रत करने से मिलता है।
सफला एकादशी की पूजन-विधि
- एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
- पूजा के दौरान विष्णु तुलसी दल, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
- अब विष्णु जी की आरती उतारें और घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
- रात के समय सोना नहीं चाहिए। भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराएं।
- इसके बाद अन्न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।