चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली/चेन्नई : अपनी एकतरफा चाहत को पाने के लिए कुछ लोग जघन्य अपराध, छल, काला जादू किसी भी हद तक गुजर जाते हैं। दक्षिण भारत की एक ऐसी ही अपराध कथा शुक्रवार को सुर्खियों में आ गई जब सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा। इस कहानी का खलनायक करोड़पति व्यवसायी है जो दो शादियां कर चुका है। अपने कर्मचारी की बीवी पर उसका दिल ऐसा आया कि उसे पाने के लिए उसने साम-दाम-दंड- भेद सबका सहारा लिया… जब बात नहीं बनी तो ज्योतिषी की भी सलाह ली। फिर भी युवती नहीं मानी तो उसके पति का अपहरण कर हत्या करवा दी। चेन्नई की इस सच्ची घटना ने बेहतरीन हिंदी थ्रिलर फिल्म की कहानी को भी पीछे छोड़ दिया है।
इस कहानी का खलनायक है प्रसिद्ध साउथ इंडियन फूड रेस्टोरेंट चेन ‘सरवना भवन’ का मालिक 72 वर्षीय पी. राजगोपाल। राजगोपाल और उसके आठ सहयोगियों की सजा सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी है। मद्रास उच्च न्यायालय ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
कहानी के तीन मुख्य किरदारः
एकतरफा चाहत में हत्या करवाने वाला : पी. राजगोपाल (सरवना भवन का मालिक)
मृतक : प्रिंस शांताकुमार
मृतक की पत्नी : जीवज्योति
एकतरफा चाहत में हत्यारा बन गया राजगोपालः
जीवज्योति के पिता रामास्वामी ने प्रिंस शांताकुमार को बेटे को गणित की ट्यूशन देने के लिए रखा था। रामास्वामी सरवाना भवन के मालिक राजगोपाल के यहां सहायक प्रबंधक के तौर पर काम करते थे। कुछ समय बाद रामास्वामी मलेशिया चले गए और इसी बीच बेटी जीवज्योति को शांताकुमार से प्यार हो गया। रामास्वामी को उनकी शादी मंजूर नहीं थी क्योंकि शांताकुमार ईसाई धर्म मानता था। पिता के विरोध के बावजूद जीवज्योति और प्रिंस शांताकुमार ने अप्रैल 1999 में शादी कर ली। कुछ समय बाद शांताराम को सरवना भवन में नौकरी मिल गई। इसी बीच जीवज्योति और शांताकुमार ने अपनी ट्रैवल एजेंसी खोलने का फैसला लिया। इस काम में आर्थिक मदद के लिए दोनों ने राजगोपाल से कर्ज के लिए संपर्क किया। पहली ही मुलाकात में जीवज्योति की खूबसूरती देख राजगोपाल उस पर फिदा हो गया। जीवज्योति से बात करने के लिए राजगोपाल ने रोजाना फोन करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं जीवज्योति को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वह रोजाना उसे महंगे उपहार भी देने लगा।
तीसरी शादी के सपने बुनने लगा राजगोपालः
अपनी एकतरफा चाहत को शादी के मुकाम तक पहुंचाने के लिए राजगोपाल ने ज्योतिषी की सलाह लेनी भी शुरू कर दी। ज्योतिषी ने राजगोपाल को सलाह दी थी कि अपने कर्मचारी की पत्नी से शादी करने से उसे सौभाग्य मिलेगा। इसके बाद राजगोपाल ने जीवज्योति को अपनी तीसरी पत्नी बनने का ऑफर दिया। राजगोपाल की दो शादियां हो चुकी थी। जीवज्योति राजगोपाल से शादी करने के लिए नहीं मानी तो उसने जीवज्योति और शांताकुमार के बीच लड़ाई करवाने की कोशिश शुरू कर दी। इतना ही नहीं राजगोपाल ने शांताकुमार को भी यह कहा दिया कि वह उसकी पत्नी से शादी करना चाहता है।
राजगोपाल ने करवाई शांताराम की हत्याः
राजगोपाल की हरकतों से परेशान होकर जीवज्योति और शांताकुमार चेन्नई से बाहर जाने की कोशिश करने लगे। जब राजगोपाल को यह पता चला कि जीवज्योति उससे दूर चली जाएगी तो उसने 8 लोगों को शांताराम की हत्या की सुपारी दे दी। इसके बाद कुछ गुंडो ने शांताराम का अपहरण कर लिया और खूब पिटाई की। शांताराम और जीवज्योति ने परेशान होकर पुलिस में शिकायत कर दी लेकिन फिर भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। 26 अक्टूबर 2001 को राजगोपाल ने जीवज्योति और शांताराम को अगवा करवा लिया और फिर उन्हें तिरुचेंदूर लाया गया। यहां पर राजगोपाल ने जीवज्योति का सुहाग उजाड़ दिया। 31 अक्टूबर 2001 को प्रिंस शांताकुमार का शव कोडाई पहाड़ियों के जंगल में मिला।
पिता की सजा बरकरार रहने की बात से बेटा बेखबरः
सेशंस कोर्ट ने आरोपित राजगोपाल को हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद मद्रास हाई कोर्ट ने इस सजा को बढ़ाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। राजगोपाल ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। उसने नौ बार अपील की लेकिन उसे सर्वोच्च अदालत से भी किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली। राजगोपाल के बेटे पी.आर. ने इस बारे में कहा कि, ‘मुझे अभी इस फैसले के बारे में एक एसएमएस मिला है। मुझे जानकारी नहीं है। ‘
चाय के स्टॉल से सरवना भवन तक का सफरः
पी.राजगोपाल ने अपने जीवन में कमाल की सफलता हासिल की थी। राजगोपाल ने जनरल स्टोर में बतौर हेल्पर की नौकरी भी की। राजगोपाल ने शुरुआत एक चाय विक्रेता के तौर पर की थी। कुछ समय बाद मशहूर साउथ इंडियन फूड रेस्टोरेंट चेन सरवना भवन की शुरुआत की। राजगोपाल को खास तौर से अपने कर्मचारियों का बेहद ख्याल रखने के लिए भी जाना जाता था। राजगोपाल की फूड चेन में काम करने वाले कर्मचारियों को अच्छी तनख्वाह के साथ-साथ इलाज और बच्चों की शिक्षा की भी सुविधा मिलती थी लेकिन अपने ही कर्मचारी की हत्या करवाने के बाद दुनियाभर में राजगोपाल की किरकिरी हो गई। राजगोपाल ने सरवना भवन की पहली शाखा साल 1981 में चेन्नई के केके नगर में खोली थी। धीरे-धीरे राजगोपाल ने देश के साथ ही सिंगापुर, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका समेत कई देशों में सरवना भवन की शाखाएं खोल लीं।